Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Jul-2022 सावन

सावन मास
  
  आया सावन मास,
   गाओ मेघ मल्हार।
   सावन में हरियाली छाई,
  वसुधा देख बहुत मुस्काई।
   प्रेम से  मन मेरा खिल उठा।
  आई मन में हरियाली,
   मानव जीवन मैंने पाया।
   प्यार को क्यों बिसराया,
   भरी दुनिया में काम ना आया।
   खुद को अलग समझ रहा,
   आगे बढ़ अपनाएं  सभी को।
   मिल बांट कर खाओ सभी को,
   मन में विचार अभी है आया।
   सब अपने में सबका हूं,
   अभी-अभी विचार ये आया।
    तब दुख होगा आधा-आधा,
    नहीं कोई गिला शिकायत होगी।
    जीवन बगिया अभी खिली है,
    चारों ओर हरियाली होगी।
    आया सावन मास,
    गाओ मेघ मल्हार।
    मन को सीचों हर सुबह,
    नई सुबह तुम्हारी होगी।
    प्रातः का सूरज मुझको,
    दे गया अनुपम संदेश।
    मैं भी आता जगत में,
    हरने सब की पीर।
    तुम भी मुझसे बन जाओ।
    तब होगी मन में हरियाली।
    गीत प्रेम के गाओ तुम
    कर्म उत्तम करोगे,
    कर्म पथ पर बढोगे तुम
    रखो दृढ़ संकल्प तुम।
    पाओगे अपना लक्ष्य तुम,
    शिकायत ने करें जिंदगी से कोई
     तब जीवन में हरियाली होगी,
     मन में बहार खुशियों वाली होगी।
     आया सावन मास गाओ गीत मल्हार।
              मधु अरोरा
27.7 .2022
           प्रतियोगिता हेतु 
    

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10 Comments

Pankaj Pandey

05-Aug-2022 02:40 PM

Nice

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shweta soni

05-Aug-2022 08:06 AM

Nice 👍

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Saba Rahman

05-Aug-2022 12:43 AM

😊😊😊

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